रीवा

Rewa news, जिला अदालत द्वारा दुष्कर्म मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले से पुलिस की FIR जांच और positive DNA रिपोर्ट पर उठे सवाल।

Rewa news, जिला अदालत द्वारा दुष्कर्म मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले से पुलिस की FIR जांच और positive DNA रिपोर्ट पर उठे सवाल।

आरोपी ने जब नहीं किया दुष्कर्म तो क्य-? कूट रचित थी DNA रिपोर्ट और पुलिस की fir सहित जांच विवेचना।

रीवा। श्रीमान जिला सत्र विशेष न्यायालय पास्को द्वारा एक पुलिस की एफआईआर पाक्सो एक्ट सहित 376 एवं एसटीएससी सहित अन्य धाराओं में दर्ज मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है पुलिस की एफआईआर के अनुसार रीवा जिले के गढ़ थाना क्षेत्र में बिगत वर्ष पूर्व एक नाबालिक युवती के साथ दुष्कर्म की वारदात को कथित आरोपी ने अंजाम दिया गया था जिस पर गढ़ पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था और आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया और आरोपी को जेल भेज दिया गया था पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया गया और DNA रिपोर्ट भी पाज़िटिव आई इस मामले में दुष्कर्म का कथित आरोपी एक वर्ष तक जेल में बंद रहा फिर आरोपी को न्यायालय से जमानत मिली और रीवा न्यायालय में केस चला न्यायालय में फरियादिया द्वारा घटना से मुकरने के बाद बीते दिन श्रीमान विशेष न्यायालय पास्को रीवा ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया तो DNA रिपोर्ट की प्रमाणिकता और पुलिस द्वारा दर्ज की गई Fir और पुलिस की जांच विवेचना पर सवाल खड़े हो गए।

पुलिस की क्या कहती है जांच विवेचना।

मनगवां एसडीओपी (अ.सा.-11) के अनुसार दिनांक 11.09.2022 को एसडीओपी मनगवां के पद पर रहते थाना गढ़ के अप.क. 447/2022 में पुलिस अधीक्षक रीवा के आदेशानुसार विवेचना प्राप्त होने पर पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गईप्रथम सूचना रिपोर्ट तथा उसके कथन का अवलोकन किया तथा’ पीड़िता एवं पीड़िता की सहेली के साथ घटनास्थल का नक्शा प्र.पी. 4 तैयार किया, उसके पश्चात पीड़िता के बताये अनुसार आरोपी का मकान जहां पर पीड़िता ने बताया कि आरोपी उसे ले जाकर पीड़िता के साथ घटना कारित की थी का नक्शा पीड़िता के समक्ष तैयार किया गया था, जो प्र.पी. 3 है। उसने पीड़िता के पिता के कथन प्र.पी. 11. कथन प्र.पी. 12 लेखबद्ध किया उसके द्वारा सिरमौर न्यायालय में मजिस्ट्रेट के समक्ष पीड़िता का कथन लेखबद्ध करवाया था, जो कि प्र.पी. 7 है। उसके द्वारा आरोपी को गिरफ्तार कर गिरफ्तारी पत्रक प्र.पी. 14 तैयार किया गया तत्पश्चात उसका मेमोरंडम कथन प्र.पी. 13 लेखबद्ध किया था। आरोपी का मेडिकल कराये जाने हेतु उसके द्वारा मजरूबी फार्म प्र.पी. 19 भरा गया था। पुलिस अधीक्षक कार्यालय रीवा के ड्राफ्ट प्र.पी. 21, जमा होने के पावती रसीद प्र.पी. 22 के माध्यम से अभियोक्त्री की जप्तशुदा सीलबंद वेजाइनल स्लाइड, सीलबंद सलवार रासायनिक परीक्षण हेतु एफएसएल सागर भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट प्र.पी. 20 है। प्र.पी. 23 के ड्राफ्ट के माध्यम से मुददेमाल डीएनए हेतु एफएसएल भोपाल भेजा, जिसकी पावती रसीद प्र.पी. 24 है तथा एफएसएल भोपाल से प्राप्त डीएनए रिपोर्ट प्र.पी. 25 है।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता का कथन।

कथित आरोपी के बचाव पक्ष के अधिवक्ता राजेन्द्र मिश्रा द्वारा कथित आरोपी के पक्ष मे बचाव करते हुए श्रीमान विशेष न्यायालय में तर्क किया गया था कि अभियोक्त्री पूर्ण रूप से सहमत पक्षकार थी इसीलिए उसके द्वारा अपने पिता के दबाव में आकर रिपोर्ट लिखा दी गई थी, बाद में पिता को परिस्थितियां ज्ञात हुई तब पिता द्वारा अभियोजन कथानक का समर्थन नहीं किया गया और वह पूर्ण रूप से अभियुक्त का समर्थन करता है। इसी कारण अभियोक्त्री का पिता बचाव साक्षी के रूप में भी पेश होना चाहता था अधिवक्ता राजेन्द्र मिश्रा ने इस मामले को लेकर मीडिया में भी अपना बयान दिया है।

पीड़िता द्वारा न्यायालय में दिया गया बयान।

पीड़िता के द्वारा विशेष न्यायालय में दिए गए बयान अनुसार वह अपने घर से नाराज होकर मामा के यहां चली गई थी। इसी बात पर उसके पिता ने उसके गुम होने की रिपोर्ट गढ़ थाने में लिखा दी। वह तीन-चार दिन बाद लौट आई थी। उसके पिता उसे पुलिस के पास ले गये थे तथा पुलिस के लोगों ने कई कागजों पर हस्ताक्षर करा लिये थे। उसने उन कागजों को पढ़ा नहीं था।

पुलिस की कार्रवाई और DNA रिपोर्ट पर बड़ा सवाल।

फरियादिया द्वारा लिखाई गई Fir के बयान से अदालत में दिए गए बयान में भिन्नता थी लिहाजा इस मामले में जो ऐतिहासिक फैसला न्यायालय ने किया है उससे यही स्पष्ट हुआ कि मामला झूठा था रंजिश बस मामला दर्ज किया गया था लेकिन पुलिस की जांच विवेचना एफआईआर पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं जहां पुलिस द्वारा झूठी कहानी बनाकर FIR दर्ज कर दी जाती है और पुलिस द्वारा प्रस्तुत किया गया साक्ष्य न्यायालय में दम तोड़ देता है। इसके साथ ही बड़ा सवाल यह उठता है कि मेडिकल परीक्षण positive DNA रिपोर्ट कैसे-? झूठी हो गई, बहरहाल काफी कठिनायों का सामना करने के बाद देर से ही सही लेकिन कथित आरोपी को न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया है।

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